नई दिल्लीः जंगली जानवरों की हत्या करने से पहले सौ बार सोच लें, क्योंकि अगर अब ऐसा आपने किया तो मानव हत्या की तरह मुकदमा दर्ज किया जाएगा?

नई दिल्लीः जंगली जानवरों की हत्या करने से पहले सौ बार सोच लें, क्योंकि अगर अब ऐसा आपने किया तो मानव हत्या की तरह मुकदमा दर्ज किया जाएगा। मुकदमा दर्ज होने के बाद आपको सख्त-सख्त सजा भी मिलेगी। बीते कुछ दिन पहले केरल के मलप्पुरम में एक हथिनी के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं थी। नतीजा यह हुआ था कि हथिनी की मौत हो गई, जिस घटना ने सभी को झकझोर के रख दिया था। घटना इतनी दर्दनाक थी की इसके दोषियों के खिलाफ लोगों ने सख्त कार्रवाई की मांग की थी। इस घटना को लेकर याचिकाकर्ता गौरव तिवारी ने कनाडा से केरल हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी।

इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार व केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य सरकार को जंगलों के अंदर पानी के कुंद और चेकडैम की स्थापना समेत कई इंतजाम करने के लिए निर्देश दिए गए हैं ताकि जंगली पशुओं को रिहायशी इलाकों में जाने से रोका जा सके। याचिका दाखिल करने वाले गौरव तिवारी ने कहा कि भारत में जानवरों को ईश्वर के रूप में पूजा जाता है। इसके बावजूद ऐसी शर्मसार करने वाली घटना हो तो इससे पूरी इंसानियत को धब्बा लगता है। उन्होंने कहा गर्भवती हथिनी के साथ हुई घटना ने सभी को सन्न कर दिया था। दर्दनाक घटना के बाद कई बार हथिनी सपनों में आई और उसने इंसाफ की गुहार लगाई, जिसके बाद उन्होंने पीआईएल दाखिल करने का फैसला किया।

भारतीय दंड संहिता के तहत जंगली जानवरों की किसी भी हत्या को मानव हत्या के समान माना जाना चाहिए दोनों के लिए समान सजा हो।

उन क्षेत्रों के शीर्ष एसएसपी, डीएफओ और जिला पशु चिकित्सा अधिकारी जहां हाल ही में मादा हाथी का उनकी उपेक्षा के कारण निधन हो गया। उन्हें सजा देने की आवश्यकता है।

कोई भी कानून जो केरल में किसानों द्वारा आग पटाखे या जाल का उपयोग करके अपनी फसल को बाचने के लिए जानवरों को मारने की अनुमति देता है इसे रद्द किया जाना चाहिए। उचित सजा तय होना चाहिए।

स्पेशल विंग केरला पुलिस में वाइल्ड लाइफ को आगे बढ़ाने और वन्य-जीवन हत्याओं के आपराधिक मुकदमों को तेजी से ट्रैक करने की जरूरत है।

सभी सरकार को जंगली-जीवन और मानव निवास के बीच सीमांकन के साथ एक जंगली जीवन अभयारण्य बनाना चाहिए।

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